یہ کیسی دھوپ ہے، سائے بھی جل رہے ہیں یہاں،
- ہر ایک چہرہ، کہانی ہے، بکھرے خوابوں کی یہاں۔
- سمندروں کی طرح، آنکھوں میں نم ہے ویرانی،
- یہ کیسی رات ہے، تارے بھی ڈوب رہے ہیں یہاں۔
دلوں کے شہر میں، وحشت کا راج ہے اب تو،
- ہر ایک لمحہ، سوالوں کا بوجھ ہے اب تو۔
- وہ روشنی کے جزیرے، ہوئے ہیں گم کہیں شاید،
- یہ کیسی شام ہے، سائے بھی گم رہے ہیں یہاں۔
غبارِ وقت نے، چہروں کو دھندلا کر دیا ہے،
- ہر ایک رشتہ، فریبوں میں الجھ کر رہ گیا ہے۔
- وہ معصوم سی ہنسی، کھو گئی ہے زمانے میں،
- یہ کیسی صبح ہے، پھول بھی مرجھا رہے ہیں یہاں۔
کتابِ زیست کے اوراق، یوں پلٹتے ہیں جیسے،
- کوئی کہانی، ادھوری سی، مٹ رہی ہو آہستہ۔
- وہ رنگ و بو کے فسانے، ہوئے ہیں خواب و خیال،
- یہ کیسی ہوا ہے، پتے بھی گر رہے ہیں یہاں۔
سکوتِ شب میں، ستاروں کی سرگوشی ہے مگر،
- ہر ایک دل میں، چھپی ایک خاموشی ہے مگر۔
- وہ خواب جو تھے کبھی، آنکھوں میں جگمگاتے ہوئے،
- یہ کیسی فضا ہے، سانس بھی گھٹ رہے ہیں یہاں۔
یہ کیسی راہ ہے، منزل بھی دھندلی ہے یہاں،
- ہر ایک قدم پہ، فریبوں کا جال ہے یہاں۔
- وہ چاہتوں کے جزیرے، ہوئے ہیں ویران سارے،
- یہ کیسا سفر ہے، راہی بھی تھک رہے ہیں یہاں۔
وہ دردِ دل جو چھپایا، ہے سینے میں برسوں سے،
- وہ آنسو جو نہ بہایا، ہے آنکھوں میں برسوں سے۔
- وہ زخم جو نہ دکھایا، ہے دنیا کو کبھی ہم نے،
- یہ کیسی آگ ہے، دل بھی پگھل رہے ہیں یہاں۔
یہ کیسی جستجو ہے، خود سے ہی گم ہیں ہم یہاں،
- ہر ایک لمحہ، سوالوں کی زد میں ہیں ہم یہاں۔
- وہ روشنی کے مینار، ہوئے ہیں تاریک سارے،
- یہ کیسا خلا ہے، رشتے بھی ٹوٹ رہے ہیں یہاں۔
وہ خواب جو تھے کبھی، آنکھوں میں سجاتے ہوئے،
- وہ لمحے جو تھے کبھی، دل سے لگاتے ہوئے۔
- وہ وعدے جو تھے کبھی، ہونٹوں پہ سجاتے ہوئے،
- یہ کیسی یاد ہے، لمحے بھی مٹ رہے ہیں یہاں۔
یہ کیسی دعا ہے، لبوں پہ ہے مگر خاموشی،
- ہر ایک دل میں، چھپی ہے ایک بے ہوشی۔
- وہ امیدوں کے چراغ، ہوئے ہیں مدھم سارے،
- یہ کیسا سکوت ہے، نغمے بھی بجھ رہے ہیں یہاں۔
ज़रूर, यहाँ उस ग़ज़ल का हिंदी अनुवाद दिया गया है:
ग़ज़ल (हिंदी अनुवाद)
-
ये कैसी धूप है, साए भी जल रहे हैं यहाँ,
- हर एक चेहरा, कहानी है, बिखरे सपनों की यहाँ।
- समुद्रों की तरह, आँखों में नमी है वीरानी,
- ये कैसी रात है, तारे भी डूब रहे हैं यहाँ।
-
दिलों के शहर में, वहशत का राज है अब तो,
- हर एक लम्हा, सवालों का बोझ है अब तो।
- वो रोशनी के द्वीप, हुए हैं गुम कहीं शायद,
- ये कैसी शाम है, साए भी गुम रहे हैं यहाँ।
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गुबार-ए-वक्त ने, चेहरों को धुंधला कर दिया है,
- हर एक रिश्ता, फरेबों में उलझ कर रह गया है।
- वो मासूम सी हँसी, खो गई है ज़माने में,
- ये कैसी सुबह है, फूल भी मुरझा रहे हैं यहाँ।
-
किताब-ए-ज़ीस्त के पन्ने, यूँ पलटते हैं जैसे,
- कोई कहानी, अधूरी सी, मिट रही हो धीरे-धीरे।
- वो रंग और खुशबू के किस्से, हुए हैं सपने और ख्याल,
- ये कैसी हवा है, पत्ते भी गिर रहे हैं यहाँ।
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रात के सन्नाटे में, तारों की फुसफुसाहट है मगर,
- हर एक दिल में, छुपी एक खामोशी है मगर।
- वो सपने जो थे कभी, आँखों में जगमगाते हुए,
- ये कैसी हवा है, साँस भी घुट रहे हैं यहाँ।
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ये कैसा रास्ता है, मंज़िल भी धुंधली है यहाँ,
- हर एक कदम पर, फरेबों का जाल है यहाँ।
- वो चाहतों के द्वीप, हुए हैं वीरान सारे,
- ये कैसा सफर है, राही भी थक रहे हैं यहाँ।
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वो दर्द-ए-दिल जो छुपाया, है सीने में बरसों से,
- वो आँसू जो न बहाया, है आँखों में बरसों से।
- वो ज़ख्म जो न दिखाया, है दुनिया को कभी हमने,
- ये कैसी आग है, दिल भी पिघल रहे हैं यहाँ।
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ये कैसी खोज है, खुद से ही गुम हैं हम यहाँ,
- हर एक लम्हा, सवालों के घेरे में हैं हम यहाँ।
- वो रोशनी के मीनार, हुए हैं अँधेरे सारे,
- ये कैसा खालीपन है, रिश्ते भी टूट रहे हैं यहाँ।
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वो सपने जो थे कभी, आँखों में सजाते हुए,
- वो लम्हे जो थे कभी, दिल से लगाते हुए।
- वो वादे जो थे कभी, होंठों पर सजाते हुए,
- ये कैसी याद है, लम्हे भी मिट रहे हैं यहाँ।
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ये कैसी दुआ है, होंठों पर है मगर खामोशी,
- हर एक दिल में, छुपी है एक बेहोशी।
- वो उम्मीदों के चिराग, हुए हैं मद्धम सारे,
- ये कैसा सन्नाटा है, नगमे भी बुझ रहे हैं यहाँ।
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